इन 14 घरेलु नुस्खों को जीवन में याद रखेगें तो कभी डॉक्टर के पास नहीं जाना पड़ेगा:-*
साधारण छोटे-छोटे प्रयोग जिनको आप अवश्य अपनाए कुछ प्रयोग नीचे दिए गए है जो
आपके घर में ही उपलब्ध है अजमाए और लाभले:-
(1) *अजवायन का साप्ताहिक प्रयोग:-*
सुबह खाली पेट सप्ताह में एक बार एक चाय का चम्मच अजवायन मुँह में रखें और पानी से निगल लें। चबाएँ नहीं। यहसर्दी,खाँसी,जुकाम, बदनदर्द,कमर-दर्द, पेट दर्द, कब्जियत और घुटनों के दर्द से दूर रखेगा। 10 साल से नीचे के बच्चों को आधा चम्मच 2 ग्राम और 10 से ऊपर सभी को एक चम्मच यानी 5 ग्राम लेना चाहिए !
(2) *मौसमी खाँसी के लिये सेंधा नमक :-*
सेंधा नमक की लगभग 5 ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तबगर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबो कर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएँ। ऐसा नमकीन पानी सोतेसमय लगातार दो-तीन दिन पीने से खाँसी, विशेषकर बलगमी खाँसी से आराम मिलता है| नमक की डली को सुखाकर रख लें एक हीडली का बार बार प्रयोग किया जा सकता है।
(3) *बैठे हुए गले के लिये मुलेठी का चूर्ण:-*
मुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुँह में रख कर जाएँ। प्रातः काल तक गला साफ हो जायेगा। गले के दर्द और सूजन में भी आरामआ जाता है।
(4) *मुँह और गले के कष्टों के लिये सौंफ और मिश्री:-*
भोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुख की अनेक बीमारियाँ और सूखी खाँसी दूर होती है, बैठी हुई आवाज़ खुलजाती है,गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है।
(5) *खराश या सूखी खाँसी के लिये अदरक और गुड़:-*
गले में खराश या सूखी खाँसी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएँ। गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भीकिया जा सकता है। आराम मिलेगा।
(6) *पेट में कीड़ों के लिये अजवायन और नमक:-*
आधा ग्राम अजवायन चूर्ण में स्वादानुसार काला नमक मिलाकर रात्रि के समय रोजाना गर्म जल से देने से बच्चों के पेट के कीडे नष्ट होतेहैं। बडों के लिये- चार भाग अजवायन के चूर्ण में एक भाग काला नमक मिलाना चाहिये और दो ग्राम की मात्रा में सोने से पहले गर्म पानीके साथ लेना चाहिये।
(7) *अरुचि के लिये मुनक्का हरड़ और चीनी:-*
भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल दें), हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें। इसे पाँच छह ग्राम की मात्रामें (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें।
(8) *बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल:-*
10 ग्राम कपूर,200 ग्राम सरसों का तेल- दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें| जब दोनों वस्तुएँमिलकर एक रस होकर घुल जाए तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और, माँसपेशियों के दर्द शीघ्र हीठीक हो जाते हैं।
(9) *जोड़ों के दर्द के लिये बथुए का रस:-*
बथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ। नित्य प्रातःखाली पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो-दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें।
(10) *पेट में वायु-गैस के लिये मट्ठा और अजवायन:-*
पेट में वायु बनने की अवस्था में भोजन के बाद 125 ग्राम दही के मट्ठे में दो ग्राम अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने सेवायु-गैस मिटती है। एक से दो सप्ताह तक आवश्यकतानुसार दिन के भोजन के पश्चात लें।
(11) *फटे हाथ पैरों के लिये सरसों या जैतून का तेल:-*
नाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते
और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजलीऔर खुश्की दूर हो जाती है।
(12)सर्दी बुखार और साँस के पुराने रोगों के लिये तुलसी
तुलसी की 21 पत्तियाँ स्वच्छ खरल या सिल बट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर चटनी की भाँति पीस लें और 10 से 30 ग्राम मीठेदही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खाएँ। दही खट्टा न हो। यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहदमिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भूलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेटलें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं।
(13) *अधिक क्रोध के लिये आँवले का मुरब्बा और गुलकंद:-*
बहुत क्रोध आता हो तो सुबह आँवले का मुरब्बा
एक नग प्रतिदिन खाएँ और
शाम को गुलकंद एक चम्मच खाकर ऊपर से दूध पी लें।क्रोध आना शांत हो जाएगा।
(14) *घुटनों में दर्द के लिये अखरोट:-*
सवेरे खाली पेट तीन या चार अखरोट की गिरियाँ खाने से घुटनों का दर्द मैं आराम हो जाता है।