दाँत दर्द के लिए इलाज के लिये आपको जो चाहिये वो इस प्रकार है
...दस ग्राम बायविडंग और दस ग्राम सफेद फिटकडी थोड़ी कूट कर तीन किलो पानी में उबालें। एक किलो बचे (शेष) रहने पर छान कर बोतल में भरकर रख लें। तेज दांत के दर्द में सुबह तथा रात इस पानी से कुल्ला करने से दो दिन में ही आराम आ जाता है। कुछ अधिक दिन कुल्ला करने से दांत पत्थर की तरह मजबूत हो जाते हैं !!
*विशेष- (1 )* दांत संबंधी सभी प्रकार के कठिन एवं असाध्य रोगों के लिए बायविडंग अचूक औषधि सिद्ध हो चुकी है। यह आयुर्वेद रिसर्च कौंसिल, दिल्ली का अनुसंधान है !!
*(२) दंत रोगों में परहेज !!* तम्बाकू, गुड़, इमली, गीला चना, बैंगन, उड़द, मसूर, अमरूद, भैस या भेड़ का दूध, ठण्डा पेय, सुअर का माँस, मछली तथा अन्य बलगम पैदा करने वाले पदार्थ। चाय, काफ़ी, ठंडी लस्सी, आइसक्रीम, फ्रीजकोल्ड इत्यादि शीत पदार्थ बारम्बार लेना। चाकलेट, पीपरमेंट जैसे लसदार, मीठे खाद्यान्न इत्यादि नरम तथा मुलायम चीजों का अधिक परिमाण में सेवन। सफेद चीनी, सफेद मैदा और उससे बनी चीजें। सोडा, लेमन, कोकाकोला आदि बोतलों में बन्द पानी, शर्बत, चाय, काफी, तम्बाकू तथा नशीले पदार्थ, अति गरम या अति शीत पेय बारम्बार लेना !!
पथ्य – तिल, मैथी, मूंग, मट्ठा, शहद, मुनक्का, अनार, सेव, ईख, छुहारा, बादाम, पपीता, सौंठ, हल्दी, नीम्बू, परवल, मूली, गाजर, लहसुन, हींग, चौकरयुक्त आटा !!
कुछ भी खाने के बाद स्वच्छ जल से कुल्लें करें। दांतों से नाखून न काटैं। जब भी मिले मूली, गाजर, गन्ने के टुकड़े कर दांतों से चूसे। नमक में फ्ल्यूओराइड रहता है। नमक के पानी से अच्छी तरह कुल्ले करें। कड़वी नीम की तीन-चार हरी पतियां चबाकर थूक देनी चाहिए, इससे दांत, जीभ व मुंह एकदम साफ़ व नीरोगी रहते हैं !!
भारत के कुओं का पानी, तिल, नमक, हल्दी आदि पदार्थों में फ्ल्यूओराइड विपुल परिमाण में होता है। इसलिए कृत्रिम फ्ल्यूओराइडेशन की कोई आवश्यकता नहीं !!
*!! दाँत दर्द और अमरूद के पत्ते !!*
अमरूद के पत्तों के काढ़े से कुल्ला करने से दांत और दाढ़ की भयानक टीस और दर्द दूर हो जाता है। प्रातः दाढ़ में कीड़ा पड़ने पर ऐसा असह्य दर्द उठता है। काढा तैयार करने के लिए पतीले में पानी डाल कर उसमें अन्दाज से अमरूद के पते डाल कर इतना उबालें कि पत्तों का सारा रस उस पानी में मिल जाए और वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।
‘अमरूद की पत्तियों के काढ़े’ से गले के गरारे करने से बढ़े हुए टॉसिल्ज में भी बड़ा लाभ होता है। अमरूद की दो-तीन पतियाँ लेकर उनके साथ थोड़ा कत्था मिलाकर खूब चबाएँ। कुछ ही दिनों में मुंह के भयंकर से भयंकर छाले साफ हो जाएंगे। केवल अमरूद की कोपलें चबाने से भी मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं !!
*!! दाँत-दाढ़ के दर्द में अदरक !!*
दांत-दाढ़ के दर्द में अदरक का टुकड़ा कुचल कर दर्द वाले दांत के खोखले भाग में रखकर मुंह बन्द कर लें और धीरे-धीरे चूसते रहें फौरन राहत महसूस होगी !!
*हिचकी में अदरक !!* दांत दर्द के अतिरिक्त अदरक के छोटे-छोटे चूसने से कई बार हिचकी बन्द होने का अनुभव भी मिला है !!
जर्दा ज्यादा खाने से दांत खराब होने पर और उनमें दर्द रहने पर
अजवायन का पिसा हुआ चूर्ण चबाइये, खासकर सोते समय, दर्द से राहत मिलेगी। कुछ दिन ऐसा करने से अवश्य लाभ होगा !!
*!! दांत दर्द !!*
फिटकड़ी को तवे (या लोहे की कडाही या मिट्टी के पात्र) पर रखकर आग पर रखें। जब पानी का अंश जल जाय और फिटकड़ी फूल जाय तो तवे को आग पर से उतारकर फिटकड़ी को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। जितनी फूली फिटकड़ी का पाउडर बने उसका 1/4 (चौथाई) भाग हल्दी (पिसी हुई हल्दी जो हम खाने के काम में लेते हैं) उसमें मिला लें। भली प्रकार मिलाने के बाद लकड़ी की दांत-खुचरन या सींक (दांत कांटी) की नोक पर उठाकर उस दर्द वाले दांत की जोड़ या सुराख के भीतर धीरे-धीरे घुसावें और यह फूली फिटकड़ी तथा हल्दी का मिश्रण भर दें। दवा दांत के अन्दर आने के साथ ही दर्द शान्त हो जाता है। प्रायः एक या दो बार ही प्रयोग करना पड़ता है,उसके बाद प्रायः जरूरत ही नहीं रहेगी !!
*!! विशेष – हल्दी के गुण !!*
हल्दी रस (स्वाद) की दृष्टि से कसैली एवं कड़वी होने से दांत तथा मसूड़ों पर हितकारी असर करती है। कसैला रस हमेशा संकोचन करने वाला होने से सूजन दूर करता है। कसैला रस जिसके सम्पर्क में आता है उसी अंग को मजबूत करता है। हल्दी में पाया जाने वाला कड़वा रस खासकर दंतकृमि को उत्पन्न होने नहीं देता और यदि उत्पन्न हो भी गये हो उनको नष्ट कर देता है। इसके प्रयोग से दाढ़ या दांत में छिद्र होते नहीं। कड़वा रस भी कसैला रस की तरह रक्तशुद्धि करने वाला है। मसूड़ों का रक्त शुद्ध रहने से दांत मजबूत रहते है। हल्दी रस में तीखी भी है जो कफ का नाश करती है, तथा कृमि व चिकनाई को दूर करती है !!
...दस ग्राम बायविडंग और दस ग्राम सफेद फिटकडी थोड़ी कूट कर तीन किलो पानी में उबालें। एक किलो बचे (शेष) रहने पर छान कर बोतल में भरकर रख लें। तेज दांत के दर्द में सुबह तथा रात इस पानी से कुल्ला करने से दो दिन में ही आराम आ जाता है। कुछ अधिक दिन कुल्ला करने से दांत पत्थर की तरह मजबूत हो जाते हैं !!
*विशेष- (1 )* दांत संबंधी सभी प्रकार के कठिन एवं असाध्य रोगों के लिए बायविडंग अचूक औषधि सिद्ध हो चुकी है। यह आयुर्वेद रिसर्च कौंसिल, दिल्ली का अनुसंधान है !!
*(२) दंत रोगों में परहेज !!* तम्बाकू, गुड़, इमली, गीला चना, बैंगन, उड़द, मसूर, अमरूद, भैस या भेड़ का दूध, ठण्डा पेय, सुअर का माँस, मछली तथा अन्य बलगम पैदा करने वाले पदार्थ। चाय, काफ़ी, ठंडी लस्सी, आइसक्रीम, फ्रीजकोल्ड इत्यादि शीत पदार्थ बारम्बार लेना। चाकलेट, पीपरमेंट जैसे लसदार, मीठे खाद्यान्न इत्यादि नरम तथा मुलायम चीजों का अधिक परिमाण में सेवन। सफेद चीनी, सफेद मैदा और उससे बनी चीजें। सोडा, लेमन, कोकाकोला आदि बोतलों में बन्द पानी, शर्बत, चाय, काफी, तम्बाकू तथा नशीले पदार्थ, अति गरम या अति शीत पेय बारम्बार लेना !!
पथ्य – तिल, मैथी, मूंग, मट्ठा, शहद, मुनक्का, अनार, सेव, ईख, छुहारा, बादाम, पपीता, सौंठ, हल्दी, नीम्बू, परवल, मूली, गाजर, लहसुन, हींग, चौकरयुक्त आटा !!
कुछ भी खाने के बाद स्वच्छ जल से कुल्लें करें। दांतों से नाखून न काटैं। जब भी मिले मूली, गाजर, गन्ने के टुकड़े कर दांतों से चूसे। नमक में फ्ल्यूओराइड रहता है। नमक के पानी से अच्छी तरह कुल्ले करें। कड़वी नीम की तीन-चार हरी पतियां चबाकर थूक देनी चाहिए, इससे दांत, जीभ व मुंह एकदम साफ़ व नीरोगी रहते हैं !!
भारत के कुओं का पानी, तिल, नमक, हल्दी आदि पदार्थों में फ्ल्यूओराइड विपुल परिमाण में होता है। इसलिए कृत्रिम फ्ल्यूओराइडेशन की कोई आवश्यकता नहीं !!
*!! दाँत दर्द और अमरूद के पत्ते !!*
अमरूद के पत्तों के काढ़े से कुल्ला करने से दांत और दाढ़ की भयानक टीस और दर्द दूर हो जाता है। प्रातः दाढ़ में कीड़ा पड़ने पर ऐसा असह्य दर्द उठता है। काढा तैयार करने के लिए पतीले में पानी डाल कर उसमें अन्दाज से अमरूद के पते डाल कर इतना उबालें कि पत्तों का सारा रस उस पानी में मिल जाए और वह पानी उबाले हुए दूध की तरह गाढ़ा हो जाए।
‘अमरूद की पत्तियों के काढ़े’ से गले के गरारे करने से बढ़े हुए टॉसिल्ज में भी बड़ा लाभ होता है। अमरूद की दो-तीन पतियाँ लेकर उनके साथ थोड़ा कत्था मिलाकर खूब चबाएँ। कुछ ही दिनों में मुंह के भयंकर से भयंकर छाले साफ हो जाएंगे। केवल अमरूद की कोपलें चबाने से भी मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं !!
*!! दाँत-दाढ़ के दर्द में अदरक !!*
दांत-दाढ़ के दर्द में अदरक का टुकड़ा कुचल कर दर्द वाले दांत के खोखले भाग में रखकर मुंह बन्द कर लें और धीरे-धीरे चूसते रहें फौरन राहत महसूस होगी !!
*हिचकी में अदरक !!* दांत दर्द के अतिरिक्त अदरक के छोटे-छोटे चूसने से कई बार हिचकी बन्द होने का अनुभव भी मिला है !!
जर्दा ज्यादा खाने से दांत खराब होने पर और उनमें दर्द रहने पर
अजवायन का पिसा हुआ चूर्ण चबाइये, खासकर सोते समय, दर्द से राहत मिलेगी। कुछ दिन ऐसा करने से अवश्य लाभ होगा !!
*!! दांत दर्द !!*
फिटकड़ी को तवे (या लोहे की कडाही या मिट्टी के पात्र) पर रखकर आग पर रखें। जब पानी का अंश जल जाय और फिटकड़ी फूल जाय तो तवे को आग पर से उतारकर फिटकड़ी को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। जितनी फूली फिटकड़ी का पाउडर बने उसका 1/4 (चौथाई) भाग हल्दी (पिसी हुई हल्दी जो हम खाने के काम में लेते हैं) उसमें मिला लें। भली प्रकार मिलाने के बाद लकड़ी की दांत-खुचरन या सींक (दांत कांटी) की नोक पर उठाकर उस दर्द वाले दांत की जोड़ या सुराख के भीतर धीरे-धीरे घुसावें और यह फूली फिटकड़ी तथा हल्दी का मिश्रण भर दें। दवा दांत के अन्दर आने के साथ ही दर्द शान्त हो जाता है। प्रायः एक या दो बार ही प्रयोग करना पड़ता है,उसके बाद प्रायः जरूरत ही नहीं रहेगी !!
*!! विशेष – हल्दी के गुण !!*
हल्दी रस (स्वाद) की दृष्टि से कसैली एवं कड़वी होने से दांत तथा मसूड़ों पर हितकारी असर करती है। कसैला रस हमेशा संकोचन करने वाला होने से सूजन दूर करता है। कसैला रस जिसके सम्पर्क में आता है उसी अंग को मजबूत करता है। हल्दी में पाया जाने वाला कड़वा रस खासकर दंतकृमि को उत्पन्न होने नहीं देता और यदि उत्पन्न हो भी गये हो उनको नष्ट कर देता है। इसके प्रयोग से दाढ़ या दांत में छिद्र होते नहीं। कड़वा रस भी कसैला रस की तरह रक्तशुद्धि करने वाला है। मसूड़ों का रक्त शुद्ध रहने से दांत मजबूत रहते है। हल्दी रस में तीखी भी है जो कफ का नाश करती है, तथा कृमि व चिकनाई को दूर करती है !!
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