NEEDLE CAN SAVE A PATIENT’S LIFE IN CASE OF STROKE. THIS ADVICE WAS GIVEN BY CHINESE PROFESSOR WHO SAYS THAT YOU ALWAYS SHOULD HAVE A NEEDLE IN YOUR HOUSE
एक छोटी सी सूई पक्षाघात ( स्ट्रोक ) और हार्ट अटैक से भी मरते हुए व्यक्ति की जान बचा सकती है l
ये सलाह एक चाइनीज़ विद्वान ने दी है जिसने कहा है की सुई एक ऐसी चीज़ है जो हमेशा आपके घर में होनी चाहिए l
पक्षाघात (स्ट्रोक)
पक्षाघात में आमतौर पर शरीर के एक हिस्से को लकवा अर्धांगघात मार जाता है। सिर्फ़ चेहरे, या एक बांह या एक पैर या शरीर और चेहरे के पूरे एक पहलू में लकवा मार सकता है या दुर्बलता आ सकती है।
जब किसी को स्ट्रोक होता है, तो उसके मस्तिष्क की केशिकायें धीरे-धीरे फटने लग जाती हैं। इसमें मरीज को आराम और तुरंत आपातकालीन प्राथमिक चिकित्सा की अत्यंत आवश्यकता है। इन तरीकों से आपको किसी मरते हुए की जान को बचाने के लिए मदद मिलेगी!
पक्षाघात तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जिस तरह किसी व्यक्ति के हृदय में जब रक्त आपूर्ति का आभाव होता तो कहा जाता है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया है उसी तरह जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को “मस्तिष्क का दौरा’’ पड़ गया है।
शांत रहो। पीड़ित चाहे कहीं पर भी हो आप उसे उसकी जगह से कदापि न हिलाएं l क्योंकि अगर आप रोगी को हिलाते हैं तो उसकी रक्त कोशिकायें फट सकती हैं और यह मस्तिष्क में तुरंत रक्तस्राव का कारण होगा ! यदि आपके पास एक सिरिंज है, तो यह सबसे अच्छा होगा; अन्यथा सिलाई के लिए नियमित रूप से इस्तेमाल की जाने वाली सुई के इस्तेमाल से भी काम बन जाएगा।
1.Hold the needle – over the fire, a lighter or candle to sterilize and then use it for pricking the tops of all 10 fingers. (सुई को शुद्ध करने के लिए उसे कुछ सेकंड तक आग पर गरम करें और फिर पीड़ित की सभी उँगलियों पर चुभांये )
2.No specific acupuncture is need; it should only be a few millimeters from the nail. ( किसी विशेष अक्युपन्चर की विधि को जान्ने की आवश्यकता नहीं , बस नाखूनों से कुछ मिलीमीटर की दूरी पर सुई चुभाना चुरू करें )
3. Perform so that the blood can flow. ( ऐसे सुई चुभोये की सभी उँगलियों से खून निकलना शुरू हो जाये )
4.If blood does not start to drip, tighten and start squeezing the blood to flow.( यदि खून न निकले तो थोडा जोर से चुभोएँ और उँगलियों को दबाएँ की खून निकलना शुरू हो जाये )
5.When all 10 fingers begin to bleed wait a few minutes – you will see that the victim will be back to life! (जब सभी 10 उँगलियों से खून निकलना शुरू हो जाये तो कुछ मिनट तक वेट करें – आप देखेंगे की पीड़ित वापस सामान्य होना शुरू हो जायेगा )
6.If the victim’s mouth is distorted, massage their ears until they become red – so blood can come to them( यदि पीड़ित का मुंह अकड़ा हुआ है या चेहरा बिगड़ गया है तो उनके कानों को तब तक सहलाएं जब तक उसके कान लाल न हो जाएँ , ताकि उनमें से खून बाहर आ सके )
7.Then prick with the needle in each ear in the soft part, to fall two drops of blood of each ear. A few minutes later, his mouth would no longer be distorted ( उसके बाद दोनों कानों के मुलायम हिस्से में सुई चुभाना शुरू करें ताकि हर कान में से खून की 2 बूँद बाहर आ जाएँ, कुछ ही मिनटों में पीड़ित का चेहरा वापस सामान्य हो जायेगा )
8.इसके बाद तुरंत पीड़ित को हस्पताल ले जाएँ और उसका पूरे विधिवत तरीके से इलाज कराएँ
एक छोटी सी सूई पक्षाघात ( स्ट्रोक ) और हार्ट अटैक से भी मरते हुए व्यक्ति की जान बचा सकती है l
ये सलाह एक चाइनीज़ विद्वान ने दी है जिसने कहा है की सुई एक ऐसी चीज़ है जो हमेशा आपके घर में होनी चाहिए l
पक्षाघात (स्ट्रोक)
पक्षाघात में आमतौर पर शरीर के एक हिस्से को लकवा अर्धांगघात मार जाता है। सिर्फ़ चेहरे, या एक बांह या एक पैर या शरीर और चेहरे के पूरे एक पहलू में लकवा मार सकता है या दुर्बलता आ सकती है।
जब किसी को स्ट्रोक होता है, तो उसके मस्तिष्क की केशिकायें धीरे-धीरे फटने लग जाती हैं। इसमें मरीज को आराम और तुरंत आपातकालीन प्राथमिक चिकित्सा की अत्यंत आवश्यकता है। इन तरीकों से आपको किसी मरते हुए की जान को बचाने के लिए मदद मिलेगी!
पक्षाघात तब लगता है जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जिस तरह किसी व्यक्ति के हृदय में जब रक्त आपूर्ति का आभाव होता तो कहा जाता है कि उसे दिल का दौरा पड़ गया है उसी तरह जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को “मस्तिष्क का दौरा’’ पड़ गया है।
शांत रहो। पीड़ित चाहे कहीं पर भी हो आप उसे उसकी जगह से कदापि न हिलाएं l क्योंकि अगर आप रोगी को हिलाते हैं तो उसकी रक्त कोशिकायें फट सकती हैं और यह मस्तिष्क में तुरंत रक्तस्राव का कारण होगा ! यदि आपके पास एक सिरिंज है, तो यह सबसे अच्छा होगा; अन्यथा सिलाई के लिए नियमित रूप से इस्तेमाल की जाने वाली सुई के इस्तेमाल से भी काम बन जाएगा।
1.Hold the needle – over the fire, a lighter or candle to sterilize and then use it for pricking the tops of all 10 fingers. (सुई को शुद्ध करने के लिए उसे कुछ सेकंड तक आग पर गरम करें और फिर पीड़ित की सभी उँगलियों पर चुभांये )
2.No specific acupuncture is need; it should only be a few millimeters from the nail. ( किसी विशेष अक्युपन्चर की विधि को जान्ने की आवश्यकता नहीं , बस नाखूनों से कुछ मिलीमीटर की दूरी पर सुई चुभाना चुरू करें )
3. Perform so that the blood can flow. ( ऐसे सुई चुभोये की सभी उँगलियों से खून निकलना शुरू हो जाये )
4.If blood does not start to drip, tighten and start squeezing the blood to flow.( यदि खून न निकले तो थोडा जोर से चुभोएँ और उँगलियों को दबाएँ की खून निकलना शुरू हो जाये )
5.When all 10 fingers begin to bleed wait a few minutes – you will see that the victim will be back to life! (जब सभी 10 उँगलियों से खून निकलना शुरू हो जाये तो कुछ मिनट तक वेट करें – आप देखेंगे की पीड़ित वापस सामान्य होना शुरू हो जायेगा )
6.If the victim’s mouth is distorted, massage their ears until they become red – so blood can come to them( यदि पीड़ित का मुंह अकड़ा हुआ है या चेहरा बिगड़ गया है तो उनके कानों को तब तक सहलाएं जब तक उसके कान लाल न हो जाएँ , ताकि उनमें से खून बाहर आ सके )
7.Then prick with the needle in each ear in the soft part, to fall two drops of blood of each ear. A few minutes later, his mouth would no longer be distorted ( उसके बाद दोनों कानों के मुलायम हिस्से में सुई चुभाना शुरू करें ताकि हर कान में से खून की 2 बूँद बाहर आ जाएँ, कुछ ही मिनटों में पीड़ित का चेहरा वापस सामान्य हो जायेगा )
8.इसके बाद तुरंत पीड़ित को हस्पताल ले जाएँ और उसका पूरे विधिवत तरीके से इलाज कराएँ
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